🌺 क्या आप जीवन में पूर्णता चाहते हैं?
तो आइए, पुरुषार्थ आंदोलन से जुड़ें और अपने जीवन के पांच महान लक्ष्यों को प्राप्त करें।
🪙 अर्थ (धन):
क्या आपका धन असुरक्षित है?
क्या आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं?
क्या आपके पास जीवन को सुरक्षित और सम्मानजनक रूप से जीने के लिएपर्याप्त साधन नहीं हैं?
➡️ हमारे मार्ग से जुड़कर आप पाएंगे स्थिरता, सुरक्षा और दिव्य आर्थिक चेतना।
💫 काम (आनंद):
क्या आपका जीवन अस्त-व्यस्त है?
क्या नींद नहीं आती, तनाव बना रहता है?
क्या आप रूप, रस, गंध, शब्द और स्पर्श से तृप्त नहीं हो पा रहे हैं?
➡️ हमारे जीवनशैली सिद्धांतों से जुड़ें और अनुभव करें एक आनंदित, स्वस्थ और संतुलित जीवन।
🕉 धर्म (कर्तव्य):
क्या आप सत्य, तप, दया और शौच के धर्मपथ पर चलना चाहते हैं, पर समाज के प्रभाव से भटक जाते हैं?
➡️ हमारे सत्संग और प्रशिक्षण से आप धर्म के चार स्तंभों को जीवन में स्थिर कर सकते हैं।
🔓 मोक्ष (मुक्ति):
क्या बार-बार जन्म और मृत्यु के चक्र से थक चुके हैं?
क्या आप अपने मन, बुद्धि, अहंकार और चित्त को शुद्ध करके स्वतंत्रता और दिव्य प्रेम का अनुभव करना चाहते हैं?
➡️ इस मार्ग पर चलकर आप पाएंगे शाश्वत शांति, आत्मिक पूर्णता और प्रभु से एकत्व का अनुभव।
💖 प्रेम (परमानंद):
क्या आप जीते-जी स्वर्ग का आनंद लेना चाहते हैं?
क्या आप परम प्रेम, आनंद और बैकुंठ की झलक इसी जीवन में पाना चाहते हैं?
➡️ यह केवल संभव है जब आप जीवन को पुरुषार्थ के दिव्य उद्देश्य से जोड़ें।
🌺 ईश्वरीय सत्ता एवं पंचम पुरुषार्थ उन्नत मंत्र 🌺
(प्रेम, पुरुषार्थ और परब्रह्म चेतना की अनुभूति में प्रवेश)
🔆 एक मंत्र – चार राम – एक ही परम सत्ता 🔆
“एक राम दशरथ का बेटा,
दूसरा राम घट-घट में बैठा,
तीसरा राम सकल पसारा,
चौथा राम तीनों लोकों से प्यारा।”
🪔 पहला राम — दशरथ नंदन पुरुषार्थ गुरु
वे राम केवल एक राजा के पुत्र नहीं हैं —
वे हैं पुरुषार्थ के आदर्श शिक्षक।
वे हमें सिखाते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था हो —
प्राकृतिक से, प्राकृतिक के लिए, और प्राकृतिक के साथ।
वे कहते हैं:
अपने जीवन की कामनाओं को पत्रं पुष्पं फलं केंद्रित जियो ।
ऐसा करने से तुम्हारी चेतना का स्तर ऊर्ध्वगामी होगा
तब तुम एक रचनात्मक, सृजनशील जीवन जी सकोगे,
जहां तुम जड़ पदार्थों में भी चैतन्य का संचार कर पाओगे,
और अंततः वह जीवन तुम्हें परम चेतन सत्ता की ओर अग्रसर करेगा।”
वे सिखाते हैं कि सत्य, दया, और दान के माध्यम से धर्म को पुष्ट करो। राजस, तमस और सात्विक प्रकृति के तीन गुणों को पार कर, पालन, सृजन और संहार की चक्र से ऊपर उठो – और प्राप्त करो मोक्ष की गति। वे यह भी कहते हैं कि चारों पुरुषार्थ – अर्थ, काम, धर्म और मोक्ष –तब ही पूर्ण होते हैं जब इनका आधार प्रेम हो। क्योंकि ईश्वर प्रेम नहीं करते, ईश्वर स्वयं प्रेमस्वरूप हैं। वे चाहते हैं कि हम अपने भीतर के प्रेम, दया और कृपा को सबमें समाहित करें।
🪔 दूसरा राम — घट-घट वासी अंतर्यामी
यह राम हमारे अंतःकरण में निवास करते हैं। वे संकेत देते हैं:
“हे आत्मन्!
अपने चित्त, मन, बुद्धि और अहंकार –
इन चार अंतःकरण मानचित्रों को शुद्ध करो,
और फिर सब जीवों में परमात्मा के दर्शन करो।”
यह आत्मदर्शन ही असली भगवत दर्शन है।
🪔 तीसरा राम — सकल पसारा, चैतन्य ब्रह्म
वे राम हैं जो इस ब्रह्मांड में कण-कण में व्याप्त हैं। वे बताते हैं:
“मैं खंभे में भी हूँ, कंकर में भी।
जब भक्त की रक्षा करनी हो,
तो निर्जीव भी सजीव बन जाता है।”
यह वही चैतन्य सत्ता है जो मिट्टी, जल, वायु, और सूर्य में भी विद्यमान है। इन्हीं चैतन्य तत्वों से वनस्पति, जीवन और प्रकृति का विकास होता है। यह विज्ञान भी स्वीकार करता है कि सजीव ही सजीव को जन्म देता है।
🪔 चौथा राम — त्रिलोकप्रिय प्रेमस्वरूप
यह राम वह हैं जो तीनों लोकों – भू, भुवः और स्वः – से असीम प्रेम करते हैं। उनकी चेतना से ही समस्त जड़ पदार्थों की उत्पत्ति हुई है। जैसे एक बरगद का बीज, जिससे विशाल वृक्ष बनता है – वैसे ही यह ब्रह्मांड बना है।
लेकिन ध्यान दीजिए – इस बीज को अंकुरित करने में ब्रह्म तत्व सहायता करता है, शिव उसका आवरण तोड़कर सृजन का मार्ग बनाते हैं, और विष्णु उस सृष्टि का संचालन करते हैं। इन त्रिदेवों के साथ सभी देवी-देवता जैसे
पंचमहाभूत और उनके देवी-देवता:
- पृथ्वी (भूमि) देवी: भू देवी / पृथ्वी माता देवता: धराधर / वासुदेव गुण: स्थिरता, पोषण
- जल (आपः) देवी: गंगा, सरस्वती, जल देवी देवता: वरुण गुण: शीतलता, शुद्धता
- अग्नि देवी: स्वाहा देवी देवता: अग्निदेव गुण: ऊर्जा, तप
- वायु देवी: वायुबु देवी देवता: पवन देव गुण: गति, प्राण
- आकाश देवी: नभ देवी / दिशा देवी देवता: ब्रह्मा / द्यौष्पिता गुण: विस्तार, ध्वनि
🌊 प्राकृतिक शक्तियाँ (Nature Goddesses):
तत्व / स्थान | देवी नाम |
नदी | गंगा, यमुना, सरस्वती |
पर्वत | पार्वती (हिमालय पुत्री) |
अन्न / फसल | अन्नपूर्णा देवी |
गाय | सुरभि / कामधेनु |
वन | वनदेवी |
समाज / धरा | राजराजेश्वरी / धरणी देवी |
🧘♀️ आंतरिक शक्तियाँ (Inner Forces):
शक्ति | देवी नाम |
विद्या | सरस्वती देवी |
शक्ति | दुर्गा, काली, ललिता |
भक्ति | भक्तिदेवी |
कुंडलिनी | त्रिपुरसुन्दरी |
काल / समय | महाकाली |
🔆 सूर्य, चंद्र, अन्य देवशक्तियाँ:सूर्य की शक्ति: सूर्या देवी , चंद्र की शक्ति: चंद्रिका देवी, आकाशीय देवी: दिशा देवी, तपस्विनी: तपोवती देवी
यह सभी तत्त्व – चैतन्य सत्ता के वृक्षस्वरूप हैं। एवं सामान्य रूप से सभी ईश्वर तत्व एक पूर्ण परब्रह्म , पूर्ण सनातन के स्वरूप में मौजूद है और उदाहरण स्वरुप में बद्री पंचायत में सभी मौजूद है
अतः प्रकृति के हर तत्व में एक दिव्य चेतना है — जिसे देवी-देवता रूप